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न्यायपालिका द्वारा बनाया जा रहा है डर का माहौल

 मैं  तो डर गया 🙄🙄🙄प्रशांत भूषण को 2 महीने में सजा दे दी गई ! 

यदि आप नहीं डर रहे हैं तो डरना सीख लीजिए !  

क्योंकि अलोकतांत्रिक कोलेजियम से चूनी हुई न्यायपालिका से आप  लोकतंत्र की उम्मीद कैसे कर सकते हैं ?

हां भाई बिल्कुल अलोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई न्यायपालिका, आपको लग रहा है मैं क्या कह रहा हूं?

हमारे प्रदेश में जिला जज बनने के लिए भी एक विद्यार्थी को  प्री, मेंस और उसके बाद इंटरव्यू से गुजारना पड़ता है तब जाकर के जूनियर जज बनता है लेकिन कॉलेजियम सिस्टम में ऐसा बिल्कुल नहीं है एक इलाहाबाद  हाईकोर्ट के भूतपूर्व जज ने कहा कि चाय के चूस्की के साथ निर्णय हो जाता है सुप्रीम कोर्ट का जज कौन बनेगा 

हो सकता है इलाहाबाद के पूर्व जज गलत हो ?

   मैं तो बहुत छोटी चीज हूं लेकिन उनके समकक्ष लोग उसी बयान के कारण  उनके रिटायरमेंट के दिन उन्हें बोलने तक नहीं दिये थे  क्योंकि वह भी डर गए थे  डर किसे नहीं लगता , आखिरकार मिलार्ड जो ठहरे 🙄 डरना भी चाहिए , क्या पता आपको 15 दिन के अंदर सूली पर लटका दें !

 इसी तरह से जस्टिस कर्णन जी का उदाहरण ले लिजीए जब इन्हें सजा सुनाई गई  तथा पागल कहा गया  तो यही प्रशांत भूषण  थर थर कांप रहे थे और जजों की हां में हां मिला रहे थे लेकिन वहाँ भी एक डरने का माहौल बनाया गया था !

 आज इनकी बारी है कल आपकी बारी होगी ,हो सकता है परसों मैं भी लपेटे में लिया जाऊं ? अलग-अलग समय पर प्रतिरोध का कोई फायदा नहीं जब तक आप संगठित नहीं होंगे तो संघर्ष का कोई मजा नहीं !

मुझे पता है कि मेरे घर का कोई व्यक्ति सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश अभी हाल फिलहाल में  नहीं बन सकता, लेकिन बहुत सारे ऐसे योग्य लोग हैं जो इस पद के लायक है लेकिन आप थरथर कापिए यदि आप बोलेंगे तो आपको भी सजा सुनाया जाएगा !

 सुप्रीम कोर्ट में अब तक 60,444  पेंडिंग केस हैं हाईकोर्ट में लगभग 46 लाख तथा लोअर कोर्ट में 3.5 करोड़ केस पेंडिंग है जिसमें से बहुत लोग ऐसे हैं जो न्याय के लिए लड़ते लड़ते मर जाते हैं लेकिन न्याय नहीं मिलता हैं 

मेरा भी एक केस पेंडिंग है हो सकता है यह पढ़ने वाले अधिकतर लोगों का कोई ना कोई केस कोर्ट में पेंडिंग हो लेकिन आपका केस उतना महत्वपूर्ण नहीं है  जितना की  मि लार्ड का है  आपको हो सकता इस जन्म में न्याय भी ना मिले लेकिन  मि लार्ड  को मिलना चाहिए !

  अन्य शीर्ष संस्थान की बहुत सारी शाखाएं बन चुकी हैं और लोकतांत्रिक तरीके से कार्य भी कर रही हैं लेकिन यहां पर एक ऐसा डर का माहौल बनाया जाता है यदि आप  खिलाफ  बोलेंगे तो आपको 2 महीने के अंदर सजा हो जाएगी इसके अलावा यदि कोई देशवासियों का मर्डर भी कर देंगा तब भी सजा होने में 2 साल से ज्यादा समय लग जाएगा ,मुंबई का आतंकवादी कसाब याद होगा आपको !


मेरा मानना है कि प्रशांत भूषण साहब ने न्यायपालिका के खिलाफ तो नहीं बोला था उन्होंने व्यक्ति विशेष को लेकर के अपनी बात रखी थी इसके लिए सजा सुनाई गई अच्छी बात है प्रशांत भूषण साहब को ऐसा नहीं करना चाहिए था डर  के थर थर कांपना चाहिए था जिस तरह से जनता मि लार्ड के सामने जाने से थर- थर कापती है !

नेपोटिज्म तो आप इसे बिल्कुल मत कहिए नेपोटिज्म तो केवल बॉलीवुड में ही नजर आता है राजनीति में नजर आता है यहां तो बिल्कुल भी नहीं है!

मै तो डर गया!

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