Skip to main content

भारत में ऑनर किलिंग

ऑनर किलिंग क्या है?-ऑनर किलिंग केवल पुरुष मनुवादी विचारधारा और उनकी शर्मिंदगी का परिणाम है जिसमें महिलाओं के साथ जघन्य अपराध किया जाता है,   यह कल्पना से परे है की आधुनिक महिलाएं और लड़कियां आज भी इस तरह की हिंसा से पीड़ित हैं ।
पूरी दुनिया में मीडिया कवरेज के बावजूद भी इस तरह की घटनाएं कहीं ना कहीं ,किसी न किसी रूप में प्रतिदिन घटित हो रही हैं। डब्ल्यूएचओ के अनुसार विश्व की  35 % औरतें अपने जीवन में या तो दैहीक या तो लैंगिक हिंसा से पीड़ित है, जो ज्यादातर पुरुष विकृति का ही परिणाम है , 250 मिलियन लड़कियों की शादी महज 15 साल के पहले ही कर दी जाती है !
निरुपम पाठक जो कि एक महिला पत्रकार थी उनके माता-पिता के द्वारा दिल्ली में महज इसलिए मार दिया जाता है कि वो एक निम्न जाति  में शादी करना चाहती थी। ऐसी ही एक घटना भावना यादव के केस में देखने को मिला , दिल्ली में ही उनके माता-पिता द्वारा मार दिया गया, अभी करंट सिनेरियो में स्वर्ण और दलितों को साक्षी मिश्रा के बहाने टारगेट किया जा रहा है। ऐसा क्यों है कि पुरुष अपनी प्रशंसा और शुभ-इच्छाओं की कामना करता है जबकि महिलाएं शर्मिंदगी के भार को ढोती रहती हैं
परिवार के सम्मान को कहीं ना कहीं महिला शुचिता के रूप में देखा जाता है जिसके कारण आनर किलिंग किसी भी रूप में हो सकती है चाहे वह एक्स्ट्रामैरिटल अफेयर हो, शादी के पहले का अफेयर हो या अरेंज मैरिज करने से इंकार करना ,यहां तक की रेप का विरोध करना भी!भारत में  समानतः ऑनर किलिंग तभी होती है जब एक प्रेमी युगल अपनी कास्ट छोड़ करके दूसरी जाति में शादी करता है,खाप पंचायतों के बारे में सबको पता ही होगा है जहां पर  आधुनिकता और रूढ़िवादी परंपराओं में टग ऑफ वार की स्थिति बन हुई है खाप पंचायतों को तो हरियाणा के कुछ नेता सपोर्ट भी करते हैं जैसे भूपेंद्र सिंह हुड्डा ,सुप्रीम कोर्ट ने इसे जघन्य अपराध माना, फिर भी लोग कैसे सपोर्ट कर देते हैं मेरी समझ के परे है.
ऑनर किलिंग को कैसे खत्म किया जा सकता है:           1 .सबसे पहले अपने अंदर पनप रहे उस सामंतवादी मनुवादी विचारधारा को मारना है जिसमें एक दलित दूसरे समूह के दलित से शादी नहीं कर सकता, एक ओबीसी दूसरे ओबीसी से शादी नहीं कर सकता , सामान्य और दलित के बारे में सोचना , सामान्य और ओबीसी के बारे में सोचना या हिंदू बनाम मुस्लिम के बारे में सोचना बहुत बड़ा गुनाह होगा इसलिए हमें सबसे पहले सभी वर्गों में पनप रहे मनुवाद को मारना है यहां तो सवाल  स्वर्ण और  दलित का है ,क्या कभी आपने देखा है दलितों में कोरी जाटव से खुशी-खुशी शादी कर ले या महर जाटव से शादी कर ले, ऐसे ही ओबीसी वर्ग में पटेल यादवो से नहीं  करते हैं ,यादव  मौर्य से शादी नहीं करते ,सभी वर्गों में तो मनुवाद पनप रहा है इसे खत्म करना ही होगा
2 जिन्हें मार दिया गया है उन्हें तो कभी वापस लाया नहीं जा सकता लेकिन एक ऐसा कानून बनाया जा सकता है जिससे उनको भुलाया न जा सके ,जिससे उनको राहत मिल सके जो दुनिया छोड़ गये।
3.इस तरह की हिंसा की श्रृंखला तभी रोकी जा सकती है जब बचे हुए लोगों को इतनी शक्ति प्रदान की जाए जो अपनी चुप्पी तोड़ सके , समाज को भी अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करनी चाहिए जिससे वो अपने आप को सुरक्षित महसूस कर सकें।
4.अभी करनाल के 2012 का ऐतिहासिक फैसला आया जिनमें उन 5 लोगों को उम्र कैद की सजा दी गई जिन्होंने खाप पंचायत में एक प्रेमी जोड़े को मार डाला था। इस तरह के सख्त कानून बनाने की जरूरत है
साक्षी मिश्रा और अजितेश के केस में आपको लड़के की जाति और उम्र पर उंगली उठाने के बजाय सोचना चाहिए ,  साक्षी को मीडिया में आकर क्यों बयान देना पड़ा जबकि यदि महिला को फेमस होना होता तो किसी भी एसडीएम को आकाश विजयवर्गी की तरह लात घुसा मार कर के पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हो जाती लेकिन उसे प्रसिद्ध होना नहीं था उसने अपनी समस्या बताई और लोग को उसकी समस्या समझना चाहिए, उसका सम्मान करना चाहिए  न कि वही पुरानी सोच पिता की इज्जत मिट्टी में मिला दिया। यदि यही ,अपर कास्ट का लड़का होता तो किसी को कोई दिक्कत नहीं होती यहां तक की अपर कास्ट का मुस्लिम भी होता तो भी ज्यादा दिक्कत नहीं होती केवल आर्थिक रूप से सक्षम होता, मुझे लगता है आर्थिक रूप से संपन्न और  स्वर्ण लोग ज्यादा समझदार हैं , मनुवाद  गरीब और पिछड़े तबके पर ज्यादा लागू होता है।




Comments

Popular posts from this blog

पंचमढ़ी और उसकी खूबसूरती

 या वीडियो पंचमढ़ी के जंगलों का है जिसमें हम लोग पत्तों में लपेटकर के रोटियां बना रहे हैं तथा वहीं पर हुए स सब्जियों से स्वादिष्ट व्यंजन बनाया गया। 

न्यायपालिका द्वारा बनाया जा रहा है डर का माहौल

 मैं  तो डर गया 🙄🙄🙄प्रशांत भूषण को 2 महीने में सजा दे दी गई !  यदि आप नहीं डर रहे हैं तो डरना सीख लीजिए !   क्योंकि अलोकतांत्रिक कोलेजियम से चूनी हुई न्यायपालिका से आप  लोकतंत्र की उम्मीद कैसे कर सकते हैं ? हां भाई बिल्कुल अलोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई न्यायपालिका, आपको लग रहा है मैं क्या कह रहा हूं? हमारे प्रदेश में जिला जज बनने के लिए भी एक विद्यार्थी को  प्री, मेंस और उसके बाद इंटरव्यू से गुजारना पड़ता है तब जाकर के जूनियर जज बनता है लेकिन कॉलेजियम सिस्टम में ऐसा बिल्कुल नहीं है एक इलाहाबाद  हाईकोर्ट के भूतपूर्व जज ने कहा कि चाय के चूस्की के साथ निर्णय हो जाता है सुप्रीम कोर्ट का जज कौन बनेगा  हो सकता है इलाहाबाद के पूर्व जज गलत हो ?    मैं तो बहुत छोटी चीज हूं लेकिन उनके समकक्ष लोग उसी बयान के कारण  उनके रिटायरमेंट के दिन उन्हें बोलने तक नहीं दिये थे  क्योंकि वह भी डर गए थे  डर किसे नहीं लगता , आखिरकार मिलार्ड जो ठहरे 🙄 डरना भी चाहिए , क्या पता आपको 15 दिन के अंदर सूली पर लटका दें !  इसी तरह से जस्टिस कर्णन जी का उदाहरण ले लिजीए जब इन्हें सजा सुनाई गई  तथा पागल कहा गया  तो यही